MAHARAJA SURAJMAL MAHAVIDYALAYA

प्रबंधक का सन्देश -

प्रिय विद्यार्थियों, राजस्थान के पूर्वांचल में स्थित भरतपुर संभाग के सर्वश्रेष्ठ निजी महाविद्यालयों में से एक महाराजा सूरजमल महाविद्यालय में आपका हार्दिक स्वागत है. पूर्व में इस महाविद्यालय के छात्रों ने शैक्षणिक, सहशैक्षणिक एवं शिक्षणोत्तर गतिविधियों में विशिष्ट कीर्तिमान स्थापित कर स्वयं को, अपने माता पिता को एवं महाविद्यालय को गौरान्वित किया है. इस महाविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर अनेक विद्यार्थियों ने राष्ट्र के नव निर्माण एवं राष्ट्र सेवा में सक्रिय भूमिका निभाई है. इस शृंखला में अब आपकी बारी है. शिक्षा एक ऐसी सतत प्रक्रिया है जो ज्ञानार्जन के साथ साथ छात्र को समाज एवं राष्ट्र के हितो के प्रति जागरूक भी बनाती है. शिक्षा जाति, वर्ण, संप्रदाय आदि संकीर्णता से निकालकर, ज्ञान का एक शुद्ध आलोक देकर एक विस्तृत दृश्टिकोण प्रदान कर हमारी चेतना को तुच्छ आवरणों से मुक्ति प्रदान करती है. विद्या दीपक की भांति हमें जलाकर परिवेश को अपनी दीप्ती से आलोकित करने की साधना है तथा परिवेश को भी अपने ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करता है. आप इस संस्था में उच्च शिक्षा हेतु प्रवेश ले रहे है. आपकी प्राथमिकता अपने गुरुजनों से अधिकाधिक संपर्क कर, कक्षाओं में नियमित रूप से उपस्थित रह कर ज्ञानार्जन करना है. अपने कार्य, व्यव्हार एवं ज्ञान के प्रति समर्पण के द्वारा इस महाविद्यालय में एक आदर्श छात्र के रूप में अपनी पहचान बनायें. आपको न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अग्रगामी होना है अपितु अनुशासन, सेवा व समर्पण के गुणों का विकास भी करना है. आपसे अपेक्षा की जाती है की जागरूक छात्र बन कर अपने व्यक्तित्व का विकास करें. इस हेतु ज्ञान के प्रत्येक सोपान पर दक्षता, कौशल, समर्पण के गुण आपके लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होंगे. महाविद्यालय में संचालित विभिन्न गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेकर अपने अन्तर्निहित ज्ञान, कौशल, सृजनात्मकता में अभिवृद्धि करें एवं अपनी प्रतिभा से स्वयं एवं संस्था को गौरवान्वित करें. यह महाविद्यालय आपकी सम्पदा है. इस धरोहर की सुरक्षा करना आपका परम कर्तव्य है. नूतन और सुन्दर भविष्य के निर्माण में आहुति हेतु पुनः महाविद्यालय में आपका स्वागत एवं अभिनन्दन के साथ शुभकामनायें.


रमेश चन्द
निदेशक
महाराजा सूरजमल महाविद्यालय, जनूथर (भरतपुर)


Mr. Ramesh Chand